श्मशान और कब्रिस्तान तक, लगे हैं जिन्दगी के मेले-ललित शर्मा
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श्मशान और कब्रिस्तान से अब हम चल पड़े बाजार की तरफ़ जहां उम्दा पान हमारा इंतजार कर रहे थे।
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श्मशान और कब्रिस्तान से अब हम चल पड़े बाजार की तरफ़ जहां उम्दा पान हमारा इंतजार कर रहे थे।
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इसी तरह दो दिन से नेता लोग झुग्गियों में जा-जा कर मरे हुए लोगों से हाल पूछ रहे हैं और मरीज़ों को श्मशान और कब्रिस्तान में सुविधाएं दिलाने का वादा कर रहे हैं।
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भाई ललित जी का राम राम कोटा के लियें श्मशान और कब्रिस्तान तक, लगे हैं जिन्दगी के मेले-ललित शर्मा ललित शर्मा, सोमवार, ६ दिसम्बर २ ० १ ० जहां से हम चलते हैं वहीं फ़िर पहुंच जाते हैं घूम घाम कर, धरती गोल है।